दिनांक 27 अक्टूबर 2023 को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक अयोध्या में तापसी छावनी के हाल में सुनिश्चित है सभी सनातनी परिवारजन से विनम्र निवेदन अपनी सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु मोबाइल नम्बर पर 8052688885 सम्पर्क करें        दिनांक 25 दिसंबर को श्री कृष्ण जन्मभूमि मुक्ति दल द्वारा महान शिक्षाविद महान हिंदू विभूति पंडित मदन मोहन मालवीय जी का जन्म दिवस समारोह दारुल सफ़ा के ए ब्लॉक कामन हॉल में मनाया जा रहा है उक्त कार्यक्रम के माध्यम से सरकार से अपनी बात सनातन को लेकर रखा जाएगा पंडित महामना मदन मोहन मालवीय जी ने शिक्षा के जगत में एक अहम किरदार निभाया जो सनातन और हिंदुत्व के लिए पूरा जीवन एक तपस्वी के भांति सेवा में लग रहे ऐसे महान पुरुष को हमारे आने वाली पीढ़ी धीरे-धीरे विस्मृति करती जा रही है    

हमारे बारे में

श्री कृष्ण जन्मभूमि के बारे में

25 सितंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व और ईदगाह को हटाने को मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता श्री हरिशंकर जैन व उनके सुपुत्र श्री अधिवक्ता विष्णु जैन के मार्गदर्शन में श्री कृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, तथा पक्षकार श्री राजेश मणि त्रिपाठी सहित दो अन्य लोगों के द्वारा श्रीकृष्ण जन्मस्थान की पूरी 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया। जिस जगह में शाही ईदगाह मस्जिद बनी है। मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद काफी पुराना है। 12 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान ने शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट के साथ समझौता किया था। इस समझौते में 13.7 एकड़ जमीन पर मंदिर और मस्जिद दोनों बनने की बात हुई थी। बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान के पास 10.9 एकड़ जमीन का मालिकाना हक है और 2.5 एकड़ जमीन का मालिकाना हक शाही ईदगाह मस्जिद के पास है। जबकि हमारे पक्ष का स्पष्ट कहना है की शाही ईदगाह मस्जिद को अवैध तरीके से कब्जा करके बनाया गया है। इस जमीन पर हम हिन्दुओ का दावा है। इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने और इस जमीन को भी श्रीकृष्ण जन्मस्थान को देने के लिए यह वाद दाखिल किया गया  पहला कटरा केशवदेव राय की 13.37 एकड़ जमीन में से 2.5 एकड़ जमीन पर गैरकानूनी तरीके से ईदगाह मस्जिद बनी है। दूसरा इसी 2.5 एकड़ जमीन पर बनी मस्जिद के नीचे श्रीकृष्ण का जन्मस्थान, यानी कारागार है। तीसरा साल 1969 में मुगल औरंगजेब ने इस जमीन पर जबरदस्ती कब्जा किया गया था और मंदिर तोड़ा था।

चौथा वहां से शाही ईदगाह को हटाकर पूरी जमीन का मालिकाना हक श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को सौंप दिया जाए। 30 सितंबर, 2020: मामले के तथ्यों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव मथुरा की तरफ से सिविल जज की अदालत में लंबित दीवानी मुकदमे में 20 जुलाई 1973 के फैसले को रद्द करने और 13.37 एकड़ कटरा केशव देव की जमीन को श्रीकृष्ण विराजमान के नाम घोषित किए जाने की मांग की गई थी। वादी की ओर से कहा गय कि जमीन को लेकर दो पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर 1973 में दिया गया निर्णय वादी पर लागू नहीं होगा क्योंकि उसमें वह पक्षकार नहीं था। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की आपत्ति की सुनवाई करते हुए अदालत ने 30 सितंबर 20 को दीवानी मुकदमा खारिज कर दिया। जिसके विरुद्ध हम लोगों द्वारा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की ओर से अपील दाखिल की गई। विपक्षी ने अपील की पोषणीयता पर आपत्ति की। जिला जज मथुरा की अदालत ने अर्जी मंजूर करते हुए अपील को पुनरीक्षण अर्जी में तब्दील कर दिया। 16 अक्टूबर 2020: जिला अदालत ने याचिका स्वीकार ली जिला अदालत ने जैसे ही हम सबकी याचिका स्वीकारी, उसी दिन 3 अन्य हिंदू संगठनों- अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा, माथुर चतुर्वेदी परिषद और हिंदू महासभा ने भी शाही ईदगाह हटाने को लेकर याचिका दायर कर दी। 23 मार्च, 2022: मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा- 1991 का प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट है, ईदगाह को नहीं हटाया जा सकता जिला कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की दलीलें सुनने के बाद हिंदू पक्ष की दलीलें सुनने के लिए सुनवाई की अगली तारीख 26 मार्च तय कर दी। जिसके जवाब में 26 मार्च, 2022 को हिंदू पक्ष के वकील श्री हरिशंकर जैन विष्णु जैन ने कहा : वर्शिप एक्ट 1991 मथुरा विवाद में लागू नहीं होता क्योंकि जो समझौता हुआ था वो जन्मभूमि सेवा संघ और मस्जिद कमेटी के बीच हुआ था। जमीन का मालिकाना हक तो जन्मभूमि सेवा संस्थान के पास है। इसलिए वह समझौता निराधार था।" 19 मई, 2022: कोर्ट ने कहा- याचिका सुनने योग्य, मंजूर की जाती है 04 अप्रैल, 2023: मथुरा कोर्ट में चल रहे 13 केस हाईकोर्ट ट्रांसफर करने पर बहस हाई कोर्ट में मुकदमे की सुनवाई चल रही।